Gold Investment : अमेरिकी टैरिफ, मंदी के डर और ETF डिमांड ने सोने को बनाया ‘सुरक्षित हेवन’; 2025 में और बढ़ोतरी की उम्मीद। सोना 90,000 रुपये के करीब! जानें 2025 में क्या करें निवेशक — खरीदें, होल्ड करें या मुनाफ़ा कैश करें? एक्सपर्ट्स से जानिए सोने का आउटलुक, टैरिफ का असर और गोल्डन टिप्स।
सोने की चमक बरकरार: क्यों छू रहा है नया रिकॉर्ड?
- दामों में उछाल: 17 मार्च, 2025 को 24 कैरेट सोना (999 प्योरिटी) भारत में 88,100 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया।
- वैश्विक वजहें: अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $3,000 प्रति औंस से ऊपर, जिसका असर भारतीय दामों पर।
- एक्सपर्ट व्यू: एंजल वन के प्रथमेश मल्लया कहते हैं, “ट्रंप के टैरिफ और मुद्रास्फीति के डर ने सोने को बनाया ‘सुरक्षित निवेश’।”
सोने में तेजी के 3 बड़े कारण
- केंद्रीय बैंकों का जमावड़ा: दुनियाभर के बैंक सोने के रिजर्व बढ़ा रहे हैं।
- मुद्रास्फीति का डर: महंगाई के बादलों ने निवेशकों को सोने की ओर धकेला।
- ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा: टैरिफ और व्यापार तनाव ने बाजारों में अस्थिरता बढ़ाई।
2025 में सोने का आउटलुक: क्या कहते हैं मार्केट गुरु?
- क्वांटम MF के चिराग मेहता: “2025 में सोना 8-10% और ऊपर जा सकता है। अमेरिकी रेट कट से मिलेगा बढ़ावा।”
- वेंचुरा के एनएस रामास्वामी: “स्टैगफ्लेशन के डर से सोना 3,000 के पार,अगला टारगेट 3,000 के पार, अगला टारगेट 3,300!”
- SMC ग्लोबल के अजय गर्ग: “वोलैटिलिटी बनी रहेगी। डिप्स पर खरीदारी करें, मौजूदा स्तर पर जल्दबाजी न करें।”
निवेशक क्या करें? एक्सपर्ट्स के 5 गोल्डन टिप्स
- डायवर्सिफिकेशन जरूरी: पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 5-10% तक रखें।
- लॉन्ग-टर्म सोचें: सोना मुद्रास्फीति और आर्थिक उथल-पुथल में सुरक्षा देता है।
- एसआईपी का विकल्प: गोल्ड ETF या सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में नियमित निवेश करें।
- FOMC मीटिंग पर नजर: 18-19 मार्च को फेडरल रिजर्व के फैसले से दामों में उछाल-गिरावट संभव।
- प्रॉफिट बुकिंग सतर्कता से: विशेषज्ञों की सलाह—”ऊंचे स्तर पर एक्सट्रा बुलिश होने से बचें।”
क्या 2025 में सोना Nifty को पीछे छोड़ेगा?
- 2024 में सोने ने 20% रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी 8.7% पर रहा।
- एक्सपर्ट आशावादी: “अगर अमेरिका में जॉब मार्केट कमजोर हुआ, तो सोना और चमकेगा।”
अंतिम सलाह: सोना है जरूरी, लेकिन…
सोना लंबे समय में धन का संरक्षक है, लेकिन इतिहास गवाह है कि कभी-कभी यह सालों तक सुस्त भी रहता है। चॉइस ब्रोकिंग के यश सावंत कहते हैं, “मौजूदा दामों में निवेश करने से पहले पोर्टफोलियो का बैलेंस और रिस्क टॉलरेंस चेक करें।”